इकना के अनुसार, उस्ताद अब्दुल बासित मुहम्मद अब्दुल समद सलीम दाऊद, मिस्र और इस्लामी दुनिया में एक प्रसिद्ध कारी और सुनहरे गले के मालिक, का जन्म 1927 में मिस्र के "अल-अक्सर" प्रांत के दक्षिण-पश्चिम में एरमांट शहर उपनगरीय इलाके "अल-मराज़ा" गांव में हुआ था। एक ऐसी शख्सियत जिनकी खूबसूरत आवाज के कारण मिस्र और गैर-मिस्र के लोगों और अधिकारियों की नजर उन पर पड़ी और उनके रेडियो से जुड़ने के साथ ही इस उपकरण को खरीदने की मांग बढ़ गई और उनकी कुरान की आवाज ज्यादातर घरों में प्रसारित होने लगी।
अब्दुल बासित इस्लामी दुनिया में सबसे प्रसिद्ध क़ारियों में से एक हैं, और अपनी खूबसूरत आवाज़ और अनूठे तरीके के कारण, उन्हें दुनिया के अधिकांश देशों और क्षेत्रों में विशेष स्वीकृति और शोहरत मिली, और उन्हें सुनहरे गले और मक्के की आवाज़ का नाम दिया गया।
सूरह ज़ारियात की आयत 47 से 51 तक की तिलावत और अनुवाद:
وَالسَّمَاءَ بَنَيْنَاهَا بِأَيْدٍ وَإِنَّا لَمُوسِعُونَ
और हमने अपनी शक्ति से आकाश को ऊंचा किया और हमने आकाश को फैलाया (47)
وَالْأَرْضَ فَرَشْنَاهَا فَنِعْمَ الْمَاهِدُونَ
और हमने धरती को फैलाया है, और हम कितने अच्छे फैलाने वाले हैं (48)
وَمِنْ كُلِّ شَيْءٍ خَلَقْنَا زَوْجَيْنِ لَعَلَّكُمْ تَذَكَّرُونَ
और हमने हर चीज़ दो तरह की पैदा की (नर और मादा), इस आशा से कि तुम सीखोगे (49)
فَفِرُّوا إِلَى اللَّهِ إِنِّي لَكُمْ مِنْهُ نَذِيرٌ مُبِينٌ
तो अल्लाह की ओर भागो, क्योंकि मैं उस से स्पष्ट सावधान करनेवाला हूं (50)
وَلَا تَجْعَلُوا مَعَ اللَّهِ إِلَهًا آخَرَ إِنِّي لَكُمْ مِنْهُ نَذِيرٌ مُبِينٌ
और अल्लाह के साथ एक और ख़ुदा स्थापित ना करो, क्योंकि मैं उसकी ओर से स्पष्ट होशियार करने वाला हूं (51)
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